Agriculture News: मार्केट में मिल रही नकली पोटाश, इस तरीके से करें जांच नहीं होगा नुकसान
Asali Khad Kaise Pahchane : वर्तमान समय में बाजारों में नकली खाद की बिक्री से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कई राज्यों से नकली खाद बेचने का मामला भी सामने आया है। ऐसे में किसानों को खाद की पहचान करना आना चाहिए, ताकि वे नुकसान से बच सकें।

How To Check Fake Potash : मिलावट के इस दौर में किसानों को ये जानना बेहद ही जरूरी है कि वो जो खाद इस्तेमाल करते हैं वो असली है या नकली। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए अच्छे खाद, बीज की आवश्यकता होती है। यदि खाद और बीज नकली हुआ तो उससे फसल का उत्पादन तो घटता ही है, साथ ही उसकी क्वालिटी में भी कमी आ जाती है। ऐसे में किसानों के लिए जरूरी हो जाता है कि वे फसलों में अलसी खाद का ही इस्तेमाल करें। ऐसे में अगर आप पोटाश और सुपर फॉस्फेट खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये जान लें कि वो नकली तो नहीं है। साथ ही इसकी पहचान आप बस कुछ मिनटों में कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे।
जिला कृषि अधिकारी विकास किशोर ने ने बताया कि किसान उर्वरकों की शुद्धता की पहचान स्वयं भी कर सकते हैं। बाजार में नकली डीएपी, जिंक सल्फेट और पोटाश सहित कई उर्वरक भी बेचे जाते हैं। उसकी रोकथाम के लिए विभाग की ओर से लगातार अभियान चला कर उर्वरकों की गुणवत्ता को देखा जाता है, लेकिन किसान स्वयं कुछ खास बातों का ध्यान रखें तो वह शुद्ध उर्वरक खरीद सकते हैं।
विकास किशोर ने बताया कि रसायनिक उर्वरक पोटाश, जिसे पोटैशियम भी कहते हैं, फसलों के लिए एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है। यह पौधों को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। पोटाश पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है, जिससे वे पानी और पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से सोख पाते हैं। यह पौधों को रोगों और कीटों से लड़ने में भी मदद करता है।
सुपर फास्फेट की पहचान
सुपर फास्फेट की असली पहचान ये होती है कि इसके सख्त दाने भूरे और काले बादामी रंग के होते हैं। वहीं, आप जांच करने के लिए इसके कुछ दानों को गर्म करें। यदि ये नहीं फूलते हैं तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है। ध्यान रखें कि गर्म करने पर डीएपी और अन्य खाद के दाने फूल जाते हैं, जबकि सुपर फास्फेट के दाने नहीं फूलते हैं। इस प्रकार मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से नहीं टूटने वाला उर्वरक है।
पोटाश पिसे नमक और लाल मिर्च के जैसा दिखाई देता है। साथ ही जांच के लिए पोटाश के कुछ दानों को नम करें। यदि ये आपस में नहीं चिपकते हैं तो समझ लें कि ये असली पोटाश है। एक बात और ध्यान रखें कि पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल रंग पानी में ऊपर तैरता है। सबसे पहले किसान ध्यान रखें कि जिस दुकान से उर्वरक खरीद रहे हैं, वह दुकान पंजीकृत है या नहीं।उर्वरक दुकान का पंजीकृत होना अनिवार्य है। उर्वरक खरीदते समय किसान रसीद अवश्य लें, जिस पर खरीदे हुए उर्वरक का बैच नंबर लिखा होना चाहिए।
बीजों की भी करवाएं जांच
प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स एक्सपर्ट का मानना है कि अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को बुवाई से पहले ही बीज अंकुरण की जांच करवा लेनी चाहिए। वहीं परीक्षण में यदि 80 से 90 फीसदी बीजों का अंकुरण हो तो बीज बेहतर माना जाता है। साथ ही 60 से 70 फीसदी अंकुरण की स्थिति में बीज दर को बढ़ाई जा सकती है। साथ ही 60 फीसदी से कम बीजों में अंकुरण हो तो बीजों को बदल देना चाहिए। वहीं किसान चाहें तो बीज प्रमाणीकरण प्रयोगशाला में बीज की फ्री जांच कराकर उसकी अंकुरण क्षमता का परीक्षण करा सकते हैं।