MSP से ज्यादा भावों पर बिक रही कपास, जानिए क्यों हुआ रेटों में इजाफा
Cotton Price : कपास उत्पादन में गिरावट के अनुमानों के बीच कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 8% ऊपर कपास की बाजार कीमतें पहुंच गई हैं। घरेलू स्तर पर कीमतों में हुआ उछाल वैश्विक बाजार पर भी प्रभाव डालेगा। भारतीय कपास संघ के अनुसार, पिछले सीजन में 325.29 लाख गांठ का कपास उत्पादन हुआ था, जसीके मुताबिक इस बार 7% कम रह सकता है। ऐसे में कपास की कीमतों में और अधिक वृद्धि हो सकती है।
27 सितंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने जारी किए गए बुवाई आंकड़ों में कपास के रकबे में भारी गिरावट हुई है। 112.76 लाख हेक्टेयर कपास देश भर में खरीफ सीजन 2024 में खेती की गई है। पिछले वर्ष का बुवाई आंकड़ा 123.71 लाख हेक्टेयर था, जो इस बार 13 लाख हेक्टेयर कम हुआ है। जबकि अगस्त-सितंबर में मॉनसूनी बाढ़ और बारिश से कई क्षेत्रों में कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है, किसानों के कम बुवाई करने के चलते उत्पादन में गिरावट के संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं।
कपास उत्पादन हो सकता है, 7 फीसदी कम
भारतीय कपास संघ (CAI) ने उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया है, क्योंकि खरीफ सीजन में कपास के बुवाई क्षेत्रफल में कमी और बारिश से नुकसान हुआ है। कपास संघ के अनुसार, 2024 से 2025 तक कपास की फसल 7% घटकर 170 किलो की 302.25 लाख गांठ रह जाएगी। पिछले सीजन में 325.29 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। ऐसे में भारत का कपास आयात एक साल पहले 17.5 लाख गांठ से 25 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जो अक्टूबर 2024 से शुरू होगा।
एमएसपी से 8 फीसदी ज्यादा हुए दाम
कपास उत्पादन में गिरावट की आशंका के बीच, कपास की कीमत लगभग 8% न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर पहुंच गई है। 22 अक्तूबर को कमोडिटी प्राइस इंडेक्स एगमार्कनेट के अनुसार राजस्थान की घड़साना मंडी में कपास का मॉडल प्राइस 8100 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया। यह कीमत प्रति क्विंटल कपास की एमएसपी 7521 रुपये से करीब 8 फीसदी अधिक है। 21 अक्टूबर को कपास का मूल्य 8030 रुपये प्रति क्विंटल था।
कपास की कीमतों में आ सकता है, उछाल
गुजरात के अमरेली जिले की बाबरा मंडी में 5 अक्तूबर को कपास का मॉडल प्राइस 7605 रुपये प्रति क्विंटल था। एक्सपर्ट का कहना है कि करीब एक महीने से कपास की थोक कीमतें बढ़ी हैं। कम उत्पादन अनुमान के कारण घरेलू कीमतों में उछाल होगा, जो वैश्विक बाजार पर भी प्रभाव डालेगा। क्योंकि भारत कपास का सबसे बड़ा निर्यातक और उत्पादक देश है।