गेहूं की पैदावार में आ सकती है गिरावट, किसानों की टेंशन बढ़ा सकती हैं ये वजह
Wheat : किसान लगातार पिछले दो सालों से गेहूं की फसल पर मौसम की मार झेल रहें हैं. इस साल मार्च के महीने में भी तेज धूप और गर्मी देखने को मिली थी. तापमान ज्यादा होने के कारण गेहूं की फसल में पैदावार कम होता है. इसके अलावा इस साल जब फसल पक्की थी तब भी बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं की फसलों में भारी नुकसान किसानों को हुआ था. बेमौसम बारिश के कारण गेहूं के दोनों का वजन घट गया था जिससे पैदावार प्रभावित हुई थी.
शुरुआती दिनों में यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि घट रही पैदावार पैदावार के कारण गेहूं की कीमतों में उछाल नजर आ सकता है लेकिन केंद्र सरकार लगातार कीमत को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का स्टॉक नवंबर में 210 लाख मैट्रिक टन है. गेहूं को ओपन मार्केट में बेचा जा रहा है. जिसके कारण स्टॉक में कमी आ सकती है.
गेहूं की फसल में अल नीनो की चिंता
गेहूं की फसल को इस साल सूखे का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अक्टूबर में बेहद ही कम बारिश हुई और तापमान भी गर्म रहा. जबकि नवंबर में भी देश की ज्यादातर जगहों में बारिश कम हुई. इस साल को एल नीनो के साल के तौर पर घोषित किया गया है वैज्ञानिकों के मुताबिक फरवरी के बाद अल नीनो का असर तेज हो सकता है. और बीते साल के मुताबिक 4 से 5 फ़ीसदी तक कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.
सरकार ने आटा गेहूं और गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था इसका मतलब यह साफ तौर पर दर्शाता है कि सरकार गेहूं संकट के मामले में गंभीर नजर आ रही है. चुनावी साल को देखते हुए यदि गेहूं के बफर स्टॉक में कमी आती है तो सरकार को बाहर से गेहूं आयात करना पड़ सकता है.