सगी बहनों की कहानी, जिन्होंने कोविड-19 से लड़ते हुए UPSC में टॉप किया, जानें

New Delhi : हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। ऐसी ही एक कहानी है दिल्ली की दो सगी जैन बहनों अंकिता और वैशाली की, जिन्होंने कोरोना जैसी भयावह महामारी से लड़ते हुए सफलता के झंडे गाड़े हैं।
दोनों बहनों ने यूपीएससी परीक्षा-2020 में शीर्ष रैंक स्थान हुए देश भर में तीसरी और 21 वीं रैंक पायी है। अंकिता जैन ने तो टॉप करते हुए महिला वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया और उनकी बहन वैशाली जैन ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए देश भर में 21 वीं रैंक हासिल की है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में तीसरी रैंक लाने वाली अंकिता जैन मूलरूप से दिल्ली के शास्त्रीनगर की रहने वाली हैं (क्रेडिट: अंकिता जैन)
अंकिता जैन जिन्हें मेंस से पहले कोविड हुआ
बहनों में बड़ी बहन 28 साल की अंकिता को मेंस परीक्षा से पहले कोविड हुआ था। परिवार उस वक्त बहुत डर गया था, लेकिन अंकिता के हौसले के आगे कोविड ने भी हार मान ली।
यात्रा: अंकिता की यूपीएससी की यात्रा थोड़ी लंबी है, क्योंकि ये उनका चौथा प्रयास था। इससे पहले भी वो एक बार यूपीएससी पास कर चुकी हैं। 2017 में पहले प्रयास में उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था, द्सुरे प्रयास में उन्होंने पास कर लिया था और तीसरे प्रयास में उनका नहीं हुआ। अंकिता इस वक्त मुंबई में हैं और ‘इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस ऑफिसर’ के पद पर तैनात हैं। कुछ महीने पहले ही उनकी शादी हुई है, उनके पति आगरा निवासी अभिनव त्यागी भी महाराष्ट्र में आईपीएस हैं।
परिवार: अंकिता के पिता सुशील कुमार जैन व्यवसायी हैं और मां अनीता जैन गृहिणी। अंकिता को इस लंबी यात्रा में हर कदम पर उनके परिवार का समर्थन मिलता रहा। शादी के बाद भी उनके पति पढ़ाई को लेकर उनका हौसला बढ़ाते रहे। जब उनको कोविड हुआ था, उस वक्त उनकी बहन और बाकी परिवार ने उनको पूरा हौसला दिया और पढ़ाई में भी मदद की।
शिक्षा और तैयारी: अंकिता ने कम्प्युटर साइन्स में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उनका वैकल्पिक विषय (दर्शनशास्त्र) फिलॉसफी था और इसके लिए उन्होंने दिल्ली में कोचिंग भी के थी।
मूलरूप से दिल्ली के शास्त्री नगर की रहने वाली अंकिता कहती हैं, “इस बार मैंने अपनी कमजोरियों पर अधिक ध्यान दिया, वो टॉपिक्स बेहतर ढंग से तैयार किए, जिनमें पहले पीछे रह गयी थी।
अंकिता ने कोविड के बाद ऑनलाइन पढ़ाई की। उनका मानना है कि अभ्यर्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा उठाना चाहिए। साथ ही अगर अकेले पढ़ाई नहीं हो रही है, तो वो ग्रुप बनाकर ऑनलाइन भी पढ़ाई कर सकते हैं।
मेसेज: अंकिता का कहना है अपने रिसोर्सज को सीमित रखिए, उन पर पूरा ध्यान दीजिए, उन्हे बेहतर तरीके से पढ़िए। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए अपना संदेश देते हुएअंकिता कहती हैं, “यूपीएससी की यात्रा अनिश्चितताओं से भरी यात्रा है, कई बार ये आपको बहुत थका देती है। लेकिन हौसला बनाए रखिए।
ये सोचिए कि आप इस सेवा में क्यों आना क्यों चाहते थे, अगर आपने वो गोल पा लिया है तो इसे छोड़कर आगे बढ़ जाइए, वरना तब तक लगे रहिए जब तक सफलता न मिल जाए।
दिमागी तौर पर मजबूत बने रहने के लिए अपनी रणनीति को कारगर तरीके से बनाइए, छोटे-छोटे गोल बनाइये, उन्हे पूरा करिए। फिर थोड़े-बड़े गोल बनाइए और उन्हें पूरा करिए। मेंटली फिट रहने के लिए, रोजाना एक्सर्साइज जरूर करिए।
अंकिता की शादी: अपने पति अभिनव त्यागी के साथ अंकिता और उनके परिवार के सदस्य (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
वैशाली जैन जिन्हें इंटरव्यू से पहले हुआ कोविड
अंकिता की तरह उनकी बहन वैशाली जैन ने भी यूपीएससी परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया है। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बातचीत करते हुए वैशाली जैन कहती हैं, “मेरी बहन की तरह ही मेरी भी यूपीएससी यात्रा में काफी उतार-चढ़ाव थे। लेकिन उन सबके बीच जरूरी था तो हिम्मत रखना, मैंने बस वही किया। ये मेरा दूसरा प्रयास था। पहले प्रयास में मेरा प्री नहीं क्लियर हुआ था।”
शिक्षा और तैयारी: वैशाली जैन ने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बी. टेक. किया है और गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। आईआईटी दिल्ली से उन्होंने एम. टेक. किया है और वहां भी वो गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने एक और प्रतिष्ठित परीक्षा ‘इंजीन्यरिंग सर्विस’ भी पास की। यूपीएससी में उनका वैकल्पिक विषय मैकेनिकल इंजीनियरिंग था।
उन्होंने जून, 2018 में एम. टेक. पूरा होने के बाद तैयारी शुरू कर दी थी। वैशाली को आईएएस के लिए प्रेरणा अपने एम. टेक. के एक प्रोजेक्ट को करते हुए मिली, जिसके लिए उन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करना था। वैशाली कहती हैं कि उस वक्त मुझे लगा कि मुझे सिविल सेवा में जाना चाहिए, मैं वहां कुछ बेहतर और बड़ा कर सकती हूं।
वैशाली जैन, यूपीएससी 21 वीं रैंक: अंकिता को जब कोविड हुआ था, तब उनकी बहन वैशाली उनके लिए नोट्स भी लिखा करती थीं (क्रेडिट: अंकिता जैन)
वैशाली कहती हैं, “मुझे समय-समय पर अपनी बहन और जीजा जी दोनों से गाइडेंस मिलती रही। मैंने तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं की थी। ‘मैकेनिकल इंजीनियरिंग’ मेरा वैकल्पिक विषय था।
मैंने अपनी कमियों और ताकत पर ही फोकस किया। साथ में मैकेनिकल और जीएस दोनों पर बराबर ध्यान दिया। जीएस के 4 पेपर और मैकेनिकल के 2 पेपर थे, दोनों के बराबर-बराबर 250 नंबर थे। उसी के अनुसार मैंने अपने पढ़ाई के वक्त को बांटा कि कैसे अपना बेस्ट निकालना है।”
“कैसे पुराने क्वेस्शन्स पेपर निकालना है, कैसे प्रैक्टिस करनी है और कैसे उनका जवाब लिखना है। मुझे हमेशा से ऐसा लगता था कि टॉपर कुछ अलग और बड़ा नहीं करते, बस वो कुछ छोटी-छोटी चीजों में ही थोड़ा-थोड़ा बदलाव लाते रहते हैं और जिसका बड़ा असर उन्हें बेहतर बना देता है।
चूंकि मुझे इंजीनियरिंग और सिविल दोनों की तैयारी साथ में करनी थी, इसीलिए मैं आधा दिन इंजीनियरिंग और आधा दिन सिविल सेवा से संबन्धित पढ़ती थी। दोनों के सिलेबस भी लगभग एक जैसे हैं, बस मैकेनिकल इंजीनियरिंग विषय अलग था, तो वो मेरा सिविल में ऑप्शनल था। इसीलिए मैंने अपनी रणनीति 2 साल के लिए बनाई थी।
मुझे इसी साल अप्रैल में इंटरव्यू से ठीक पहले कोविड हुआ था, पर किस्मत से कोरोना महामारी की वजह से ही इंटरव्यू आगे बढ़ गए। कोविड ने डराया तो बहुत है, लेकिन बहुत कुछ सिखाया भी है।”
अंकिता जैन: जिनके हौसले के आगे कोविड भी हारा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
परिवार: वैशाली कहती हैं, “मेरे परिवार ने हमेशा मुझे हौसला दिया कि आईएएस बन सकते हैं। मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा तो मेरी बहन ही हैं। बाकी जीवन के हर फेज में कोई न कोई प्रेरणा देता रहा है। मैं अपने अनुभव से ही सीखती रही हूं।”
मेसेज: वैशाली का भी मानना है कि यूपीएससी की यात्रा बहुत अनिश्चितताओं वाली होती है। वो कहती हैं कि जब तक परिणाम नहीं आया था, हमें भी नहीं पता था कि हमारा सेलेक्शन होगा या नहीं या इतनी अच्छी रैंक आएगी। इसीलिए बस एक ही सूत्र है, “अपनी नजर गोल पर जमा के रखिए, खुद पे भरोसा रखिए और बस चलते रहिए। यहां थकना मंजूर है, पर रुकना नहीं।”