यह मिठाई खाई जाती है दवाई की तरह...कोशों दूर भागती है बीमारियां! स्वाद का भी तोड़ नहीं.

The Chopal: आप मिठाइयां तो हमेशा कहते रहते है, परंतु जो मिठाई आज हम लेकर आए है, उसे दवाई के रूप में खाया जाता हैं. अमीर से लेकर गरीब सभी लोग खाते है. लोग मानते है की इसका स्वाद एक बार चख लिया तो भुलाया नहीं जा सकता है.
नूंह की इस मिठाई का नाम है अत्रि फल. यह मिठाई को जबरदस्त स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी हैं. अत्रि फल मिठाई आज से लगभग 80 साल पहले कालूराम पंसारी द्वारा बनाई गई थी. कालूराम पंसारी वैद्य हकीम का काम करते थे. उन्हीं के मन में इस मिठाई को बनाने के बारे में सोचा.
कालूराम की चौथी पीढ़ी भी अत्रीफल मिठाई को की दुकान करते है. स्व. कालूराम पंसारी का परिवार ये मिठाइयों बनवाने के लिए कई हलवाई और मजदूरों की मदद नहीं लेता है, बल्कि खुद अपने हाथों द्वारा बनाता है. दावा किया जा रहा है कि सिर दर्द, जोड़ों का दर्द, कमजोरी और फिर शरीर की गर्मी को यह मिठाई पूरी तरह से खत्म करती है.
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एक ही दुकान है मिठाई की
दुकानदार दिनेश कुमार गर्ग ने कहा कि उनके दादा वैद्य हकीम होते थे. उस समय नब्ज-नाड़ी देखकर दवा मिलती थी. फिर उन्होंने अत्रि फल नाम की मिठाई बनाई थी और इसी मिठाई के कारोबार और इनका परिवार चलता है. दिनेश कुमार के पिता और अब उनके पुत्र भी इसी मिठाई को बनाने का काम कर रहे हैं. इस मिठाई में काजू, बादाम, इलायची, खरबूजा-तरबूज के मगज, खांड, देसी घी, धनिया आदि मिलाया जाता है. सबसे खास बात यह है कि जिले के पुन्हाना शहर में भी सिर्फ एक दुकान पर ही यह मिठाई है.
दो तरह की मिठाई, अलग-अलग रेट
दिनेश का दावा है कि शरीर की छोटी-मोटी बीमारी इस मिठाई के खाने से खत्म हो जाती है. बताया इस मिठाई की डिमांड भी तेजी से मार्केट में बढ़ती जा रही है. उनके यहां दो प्रकार की अत्रि फल मिठाई होती है. एक मिठाई 150 रुपये प्रति किलो मिलती है, उसमें कुछ मैटेरियल कम डला होता है और अच्छी क्वालिटी की मिठाई 470 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है. दोनों प्रकार की मिठाई को खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगती है.
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