UP में करोडों बिजली उपभोक्ताओं को मिली सौगात, अब दिन-रात की अलग दरें नहीं
UP News : यूपी के विद्युत उपभोक्ताओं को बहुत राहत मिली है। अब राज्य में दिन और रात की बिजली दरों में कोई अंतर नहीं होगा। गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग ने बहुवर्षीय टैरिफ वितरण नियमन-2025 को मंजूरी देते हुए प्रस्ताव को हटा दिया।

Uttar Pradesh News : यूपी के विद्युत उपभोक्ताओं को बहुत राहत मिली है। अब राज्य में दिन और रात की बिजली दरों में कोई अंतर नहीं होगा। गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग ने बहुवर्षीय टैरिफ वितरण नियमन-2025 को मंजूरी देते हुए प्रस्ताव को हटा दिया। प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करने के लिए भेजा गया है। यह अप्रैल 2025 से शुरू होगा और 31 मार्च 2029 तक चलेगा। साथ ही, आयोग ने भविष्य के निजीकरण का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया। हालाँकि, इससे विद्युत कंपनियों को निजीकृत करने की वर्तमान प्रणाली पर कोई असर नहीं होगा। इसके अलावा, बिजली दरों की गणना के तरीकों में बदलाव से भविष्य में बिजली दरों में वृद्धि की संभावना बढ़ी है। बिजली दरों पर इसका कोई सीधा असर नहीं होगा।
19 फरवरी को नियामक आयोग ने नियमन प्रस्तावों पर जनसुनवाई की थी। नियम गुरुवार को पारित किया गया था, लेकिन उसमें भविष्य की निजीकरण और दिन-रात का टैरिफ अलग किए जाने के मुद्दे नहीं थे। दैनिक रूप से अलग-अलग टैरिफ पर पावर कॉरपोरेशन का प्रस्ताव आने पर संस्थान ने विचार करने का निर्णय लिया है। हालाँकि, यूपीएसएलडीसी ने पावर कॉरपोरेशन नियामक आयोग में सुनवाई के दौरान पहले ही कहा है कि साल 2027 से 2028 तक दिन और रात का टैरिफ अलग-अलग करना मुश्किल होगा।
बाद में कंपनी ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद कम से कम दो साल के लिए डेटा जुटाना चाहिए। ऐसे में यह माना जा सकता है कि बिजली कंपनियां कम से कम दो साल तक दिन और रात का टैरिफ अलग-अलग करने का कोई प्रस्ताव नहीं देंगे। केंद्र सरकार ने पहले ही कानून बनाकर देश भर में एक अप्रैल 2025 से रात-दिन का टैरिफ लागू करने की अनुमति दी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे गरीबों के लिए घातक बताया।
खुली बिजली दरों को बढ़ाना
बिजली दरों का निर्धारण नियामक आयोग ने वास्तविक खर्च पर किया है। इससे भविष्य में बिजली दरें बढ़ सकती हैं। दरअसल, ट्रूअप खर्चों पर बिजली की दरें पहले से ही निर्धारित की गई थीं। ऑडिटेड आंकड़े का ट्रूअप खर्च था। यह आरोप लगाया जाता है कि विद्युत कंपनियां वास्तविक आंकड़ों को गलत ढंग से प्रस्तुत करती हैं, जिससे विद्युत दरें बढ़ जाएंगी। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों पर बिजली उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये बकाया है, इसलिए यह प्रस्ताव नियमन में मंजूर होने पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। इसलिए राज्य में पिछले पांच साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ी हैं। नए तरीके से आकलन करने पर बिजली कंपनियों की लागत अधिक होगी, इसलिए पहले उपभोक्ताओं का सरप्लस कम होगा और फिर बिजली दरें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद इस मुद्दे पर लड़ने को तैयार है।
मनमाने मूल्य पर नहीं खरीद सकेंगे
बिजली आयोग ने 2029 तक लागू होने वाले कानून में अनुमन्य दरों पर ही विद्युत खरीद की व्यवस्था की है। इससे मनमानी मूल्यों पर बिजली खरीद पर प्रतिबंध लगेगा। रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम की ट्रेजेक्ट्री लाइन क्षति को बिजली दर आदेश में अनुमोदित किया गया था। नियम भी इसे शामिल करते हैं। बिजली कंपनियों को प्रशासकीय और सामान्य खर्चों के लिए प्रदर्शन के मानक के अनुसार मुआवजा कानून लागू करने के लिए होने वाले खर्चों का पूरा विवरण भी देना होगा।अ