राजस्थान में शराब और बीयर के शौकीनों को जोर का झटका, कीमतों में भारी इजाफा
Rajasthan News : शराब और बीयर के शौकीनों के जेब अब ज्यादा ढीली होने वाली हैं। वास्तव में, राजस्थान में बीयर और शराब की कीमतें बढ़ी हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि पंजाब-हरियाणा के पड़ोसी राज्यों से सस्ती शराब की तस्करी का खतरा बढ़ सकता है।

Rajasthan Liquor Prices: राजस्थान में गर्मी के तेवर तीखे होते ही ठंडी बीयर की मांग बढ़ने लगी है। लेकिन मांग बढ़ने से बीयर और शराब की कीमतें भी बढ़ गई हैं। सरकार ने अपनी नई नीति के अनुसार बीयर की कीमत में 15 रुपए की बढ़ोतरी की है, जबकि शराब की बोतलों की कीमत 20 से 200 रुपए तक बढ़ी है। अब एक बोतल बीयर 175 रुपए में मिलेगा, जबकि प्रीमियम शराब 1035 रुपए में मिलेगी।
शराब की कीमतों में वृद्धि
राजस्थान सरकार की नई नीति के कारण बीयर और शराब की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे कच्ची शराब की तस्करी और उपभोग में वृद्धि हो सकती है। ठेकेदारों ने कमीशन कम करने पर नाराज हो गए, जिससे बहस हो गई। सरकार ने अपनी नई नीति के अनुसार राजस्थान में बीयर की कीमत 15 रुपए तक बढ़ा दी है, जबकि शराब की बोतल 20 रुपए से 200 रुपए तक होगी। अब एक बोतल बीयर 175 रुपए में मिलेगा, जबकि प्रीमियम शराब 1035 रुपए में मिलेगी। यही नहीं, दुकानदारों ने पुरानी बोतलों पर नए दामों पर शराब और बीयर बेचने के कारण दुकानदारों और ग्राहकों में काफी बहसबाजी हो रही है।
शराब के ठेके टूटने पर पियक्क्ड़ों की मौज
वहीं इससे पहले पंजाब में 31 मार्च को शराब के ठेके टूटने पर पियक्क्ड़ों की मौज लग गई थी, क्योंकि औसतन 50 फ़ीसदी सस्ती (आधे रेट पर )शराब मिली। सोमवार को महानगर में लोगों को कई शराब की पेटियां ले जाते देखा गया। 1, अप्रैल 2025 से नए ठेकेदारों को नई एक्साइज पॉलिसी 2025-26 लागू होगी, लेकिन नए ठेके खुलने से एक दिन पहले ही शराब का हैवी कोटा उठा लिया गया था। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को ठेके बंद होने पर कई ठेकेदारों ने एक बोतल शराब खरीदने पर मुफ्त बोतल भी दी।
ग्राहक और सेल्समैन के बीच बहस
दुकानदार पुराने स्टॉक की बोतलों पर भी नए रेट वसूल रहे हैं, जिससे ग्राहक और सेल्समैन के बीच बहस और झगड़े हो रहे हैं। कई जगहों पर हंगामे की स्थिति भी बनी हुई है। वहीं सरकार इस नीति को राजस्व वृद्धि का जरिया मान रही है, वहीं विशेषज्ञों और व्यापारियों का कहना है कि इससे तस्करी, अपराध और राजस्व घाटा ही बढ़ेगा। अब देखना है कि यह नीति राज्य के लिए लाभकारी सिद्ध होती है या नहीं।