supreme court decision : कृषि भूमि पर बेटियों का कितना अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
court decision : संपत्ति पर अधिकारों पर हुई बहस से जुड़े बहुत से मामले कोर्ट में रहते हैं। इन मामलों पर बढ़ते विवादों को देखते हुए कई नियम और कानून बनाए गए हैं, जिनकी बहुत कम लोग जानते हैं। यही कारण है कि आज हम आपको सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें निर्धारित किया गया है कि खेती वाली जमीन में बेटियों का कितना हिस्सा होता है।

The Chopal, court decision : आजादी के बाद से, महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण का अधिकार संविधान ने दिया है। पति की संपत्ति पर महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी कई कानून बनाए गए हैं। महिलाओं को संपत्ति की विरासत पर भी अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है कि बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा।
कोर्ट ने निर्णय दिया कि बिना वसीयत के मर चुके हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की स्व-अर्जित संपत्ति और अन्य संपत्ति का अधिकारी होंगी। हिंदू अधिकार कानून, 1956, लागू होने के पहले से उनका हक सुरक्षित होगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि महिलाओं को परिवार के अन्य सदस्यों से अधिक प्राथमिकता मिलेगी। 51 पृष्ठों में, यह निर्णय महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को बढ़ावा देता है।
भारत जैसे देश में महिलाओं को उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में कई सामाजिक और कानूनी बाधाएं होती हैं। National Family Health Survey-5 में 43% महिलाओं ने कहा कि वे घर या जमीन का मालिक हैं। इसके बाद भी, महिलाओं का असली अधिकार और संपत्ति पर नियंत्रण पर संदेह है। 2020 में मैनचेस् टर यूनिवर्सिटी की एक अध्ययन के अनुसार, गांवों में जमीन का मालिक केवल 16 प्रतिशत महिलाएं हैं।
खेती की जमीन का हिस्सा कब प्राप्त होगा?
कृषि भूमि महिलाओं के संपत्ति के अधिकारों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। कृषि भूमि का अधिकार धार्मिक नहीं है, बल्कि राज्य के कानूनों के अनुसार है। राजस्थानी कानून और सेंट्रल पर्सनल लॉ में काफी मतभेद हैं। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पंजाब में बेटियों और बहनों को कृषि भूमि में अधिकार नहीं मिलते हैं।
महिलाएं और विधवाओं को कुछ अधिकार जरूर मिले हैं, लेकिन वे पुरुषों से वरीयता के क्रम में पीछे हैं। दिल्ली में विधवाओं को कृषि भूमि पर अधिकार नहीं है, लेकिन उनकी बेटियों को है।
Uttar Pradesh (UP News) में बहनों और बेटियों को कृषि भूमि मिलती है, लेकिन वे वरीयता क्रम में नीचे हैं। 2015 में लागू हुए यूपी रेवेन् यू कोड, 2006 के अनुसार, शादीशुदा बेटियों को कृषि भूमि में जहां कोई वसीयत नहीं है, तभी हिस्सा मिलेगा जब मृतक की विधवा, पुरषोत्तराधिकारी, मां, पिता या कोई अविवाहित बेटी नहीं होगी।
बेटियों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय—
Hindi Succession Act (Hindu Succession Act) के तहत हरियाणा ने महिलाओं के अधिकार भी छीनने की दो बार कोशिश की। इसके अलावा, कई राज्यों में महिलाओं को संपत्ति देने का विरोध होता रहा है। महिलाओं को कृषि भूमि में बराबरी का हक नहीं मिलेगा, तो उनके संपत्ति अधिकारों का मुद्दा अधूरा रहेगा।