Supreme Court : पुश्तैनी जमीन-जायदाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आया सबसे अहम फैसला
Supreme Court : Property Disputes लगातार बढ़ रहे हैं। प्रॉपर्टी विभाग से भी सैकड़ो मामले कोर्ट में पड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के मालिकाना हक के बारे में हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में चलिए खबर में जानते हैं।

The Chopal, Supreme Court : संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर कई कानून बनाए गए हैं, जो बहुत कम लोगों को पता है। यदि आप भी पुश्तैनी जमीन रखते हैं, तो आज की यह खबर आपके लिए बहुत उपयोगी होगी। आज हम आपको संपत्ति के मालिकाना अधिकार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में बताने जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेवेन्यू रिकार्ड में दाखिल खारिज होने से उसके मालिकाना हक पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उस संपत्ति पर मालिकाना हक (property ownership) सिर्फ सक्षम सिविल कोर्ट द्वारा निर्धारित होगा।
शीर्ष न्यायालय का क्या कहना है
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने कहा कि रिकॉर्ड में नामांकित किसी व्यक्ति को जमीन पर अधिकार नहीं मिलता। बेंच ने कहा कि जमाबंदी या रेवेन्यू रिकॉर्ड में शामिल होने का केवल 'वित्तीय उद्देश्य' होता है, जैसे भू-राजस्व का भुगतान। ऐसी एंट्री से मालिकाना हक (property news) नहीं मिलता।
बिजनेस का अर्थ
हाउसिंग डॉट कॉम के ग्रूप सीएफओ के अनुसार, किसी संपत्ति या जमीन का म्यूटेशन बताता है कि एक संपत्ति (property news) को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया गया है।
यह भी अधिकारियों को करदाताओं की जिम्मेदारी निर्धारित करने में मदद करता है।
इससे कोई मालिक नहीं बनता। यह प्रक्रिया, जिसे "दाखिल-खारिज" कहा जाता है, हर राज्य में अलग है। दाखिल खारिज एक बार में नहीं पूरा होता। समय-समय पर इसे अपडेट करना चाहिए।
जरूरी कागजातों को देखें
उनका कहना है कि संपत्ति से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों, या संपत्ति के दस्तावेजों, पर नजर रखना बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी तरह की बहस होने से पहले व्यक्ति को म्यूटेशन में अपना नाम बदलना चाहिए।
Court decision उचित नहीं है और संपत्ति विवाद में समय लग सकता है, लेकिन इससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जिन्हें म्यूटेशन में तुरंत नाम नहीं बदला है।