MP में बनेंगे 505 किलोमीटर के 2 नए एक्सप्रेसवे, 17 हजार करोड़ होंगे खर्च

MP News : मध्य प्रदेश में अब विकास की गाड़ी पांचवीं नहीं, सीधा आठवीं गियर में चल रही है। सरकार ने आवागमन को और आसान और फास्ट बनाने के लिए रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोरदार काम शुरू कर दिया है। ताज़ा अपडेट के मुताबिक, दो नए हाई-स्पीड कॉरिडोर की डीपीआर (Detailed Project Report) बनाने की तैयारी ज़ोरों पर है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में दो नए हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसमें दो हाई स्पीड कॉरिडोर होंगे: एक जबलपुर से भोपाल और दूसरा लखनादौन से रायपुर। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इसके लिए लगभग 17 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रहा है। जो डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खास बात यह है कि आठ लेन का हाई स्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा
उत्तर प्रदेश की यमुना एक्सप्रेस वे की तरह होगा
मध्य प्रदेश के जबलपुर में दो नए हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसमें दो हाई स्पीड कॉरिडोर होंगे, एक जबलपुर से भोपाल और दूसरा लखनादौन से रायपुर। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इसके लिए लगभग 17 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रहा है। जो डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खास बात यह है कि आठ लेन का हाई स्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा। जो उत्तर प्रदेश की यमुना एक्सप्रेस वे की तरह होगा।
जानकारी के अनुसार, लखनादौन और रायपुर के बीच एक हाई स्पीड कॉरिडोर बनाया जाएगा। अभी नागपुर से रायपुर जाना होगा। इसलिए चार सौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। लेकिन बालाघाट से नया रास्ता बनने से 145 किलोमीटर से दूरी कम होकर 255 किलोमीटर हो जाएगी। फिलहाल भोपाल से दूरी 350 किलोमीटर है। वह लगभग 100 किमी से घटकर लगभग 250 किमी हो जाएगी।
सड़कें पूरी तरह से सीधी होंगी और गति बनी रहेगी
हाइ स्पीड कॉरिडोर में सड़कें पूरी तरह से सीधी होंगी। जिससे वाहनों की गति बनी रहती है। साथ ही, स्पीड सेंसर और GPS ट्रैकर जैसी सुविधाओं को कॉरिडोर में शामिल करने पर भी जोर दिया जाएगा। इसके लिए कॉरिडोर दोनों ओर कवर किया जाता है, ताकि वाहन सरपट दौड़े और दुर्घटना नहीं होती।
जबलपुर-भोपाल हाई स्पीड कॉरिडोर
गौरतलब है कि यह परियोजना विजन 2047 के अंतर्गत बनाई गई है। जबलपुर से भोपाल ग्रीन फील्ड हाई स्पीड कॉरिडोर की लागत लगभग 7 से 8 हजार करोड़ रुपये होगी। यह मार्ग जबलपुर के बाद तेंदूखेड़ा के नौरादेही जंगल के बीच रायसेन होते हुए बनाया जाएगा। ताकि भोपाल जाते समय औबेदुल्लागंज से नहीं गुजरना पड़े। इतना ही नहीं, NHAI कंसल्टेंट नियुक्त कर दूसरे विकल्पों की खोज करने के लिए तैयार हैं। जिससे दूरी कम हो सके। इसके बावजूद, NHAI को वन क्षेत्र भी प्राप्त करना होगा। तब यह ग्रीन कॉरिडोर बन सकेगा।