The Chopal

देश के एक किसान ने 100 एकड़ में पहली बार फ्री बीज से लगाई की प्रोटीन वाली फसल, अब ऐसे खुली किस्मत

   Follow Us On   follow Us on
Milets crop in Chhattisgarh , Ragi crop in cg , Chhattisgarh news , ragi crop in mahasamund , farmer in mahasamund , mahasamund local news , mahasamund news"

The Chopal, खेतीबाड़ी डेस्क, नई दिल्ली: देश के छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद ज़िले समेत पूरे प्रदेश में मिलेट के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. महासमुंद जिले में पहली बार कुपोषण को दूर करने के लिए लहलहाती पोषक रागी फसल की कटाई हार्वेस्टर मशीन के द्वारा की गई है. जिला मुख्यालय से करीब 106 किमी. दूर ग्राम भंवरपुर में रागी फसल की हार्वेस्टर के द्वारा कटाई की गई है. किसान संतकुमार पटेल, पूरन पटेल, सागर पटेल एवं अन्य ने करीब 100 एकड़ से अधिक में रागी फसल की खेती किया है.

राज्य के महासमुंद जिले के भंवरपुर निवासी किसान संतकुमार पटेल ने बताया कि प्रमाणीकरण संस्था के एमडी और कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा जानकारी मिला और रागी फसल लेने के लिए जानकारी मिली जो उनको अच्छी लगी. इस फसल को सरकार समर्थन मूल्य 3578 रुपये प्रति क्विंटल तक में खरीदेगी. यह फसल बीज निगम के लिए प्रमाणित होने की वजह से मुझे प्रति क्विंटल 5711 रुपये भी मिलेंगे. मुझे खाद बीज दवाई सब फ्री में सरकार की योजना के तहत भी मिला है. जिसकी वजह से मुझे बहुत लाभ हुआ है.

यह भी पढ़े: Weather: राजस्थान के डीडवाना में भयंकर तबाही का मंजर, भीषण आंधी व तूफान से भारी नुकसान

किसानों के लिए लाभ का सौदा

उन्होंने कहा,  ‘मैंने 100 एकड़ में रागी का फसल लिया. इसका उत्पादन काफी अधिक हुआ है. मौसम का भी साथ अच्छे से मिला. यह पहला वर्ष था जिसमें प्रति एकड़ 10 क्विंटल के हिसाब से उत्पादन हासिल हुआ है. अगले वर्ष 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से ज्यादा होने वाला है. रागी प्रोटीन युक्त और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद भी है. कुपोषण को दूर करने में सहायता प्रदान करेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति भी इससे सुधारने वाली भी है’.

उगाने में भी लागत बेहद कम

उत्पादित रागी बीज का भोजन के रूप में उपयोग, आंगनबाड़ी, मध्यान्ह भोजन एवं गर्भवती महिलाओं को तथा कुपोषित बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए ही किया जाएगा. बता दे कि मिलेट में छोटा अनाज और मोटा अनाज दोनों शामिल होते हैं. इन्हें पहाड़ी, तटीय, वर्षा, सूखा आदि इलाकों में बेहद कम संसाधनों में ही उगाया जा सकता है. एक तरफ मिलेट को उगाने में लागत भी कम आती है. वहीं इसका सेवन करने से शरीर को वो सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जो साधारण खान-पान से मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि अब बेहतर स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक भी डाइट में 15 से 20 % तक मिलेट को शामिल करने की सलाह दे रहे हैं.

यह भी पढ़े: 10 रुपये खर्च युवक ने कूलर को बनाया AC, इस देसी जुगाड़ के दीवाने हुए यूजर

कम पानी में रागी की फसल

राज्य के महासमुंद जिले को कुल लक्ष्य 1500 हेक्टेयर तक प्राप्त हुआ है. कृषि विभाग ने जिले के पांचों विकासखण्डों को 310 हेक्टेयर में 31 क्विंटल रागी बीज प्रति विकासखण्ड के मान से 155 क्विंटल उत्पादन किया गया. धान की अपेक्षा कम पानी में रागी की फसल का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.