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धान में आई गर्दन तोड़ बीमारी से इस तरह मिलेगा छुटकारा, फॉलो करें एक्सपर्ट की राय

अब जिले में धान की फसल में बालियों और दानों का उत्पादन होने लगा है। नई-नई किस्में भी किसानों को आकर्षित करती हैं। फसल बीमारियों का प्रकोप भी मौसम में बदलाव और नई किस्मों के कारण बढ़ता जा रहा है।
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This way you will get relief from break neck disease in paddy, follow the expert's opinion

The Chopal - अब जिले में धान की फसल में बालियों और दानों का उत्पादन होने लगा है। नई-नई किस्में भी किसानों को आकर्षित करती हैं। फसल बीमारियों का प्रकोप भी मौसम में बदलाव और नई किस्मों के कारण बढ़ता जा रहा है। धान फसल को पिछले वर्ष गर्दन तोड़ (ब्लास्ट) या बदरा बीमारी ने भारी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन यह बीमारी फिर से फैलने लगी है। बीमारी को पूरी तरह से रोकथाम नहीं कर सकते हैं पुराने कीटनाशक भी। किसान इससे बहुत परेशान हैं। बीमारी को समय रहते नहीं रोका गया तो पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।

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रोग के लक्षण

पत्तियों पर बैंगनी या आंख के आकार के कई जल सिक्त धब्बे बनते हैं। धब्बों के दोनों किनारे लंबे होते हैं और उनके बीच का क्षेत्र चौड़ा हो जाता है। कई धब्बे मिलकर बड़े हो जाते हैं और पत्तियों को सुखा देते हैं। काली तने की गांठें आसानी से टूट जाती हैं। बालियां टूटकर सूख जाती हैं, सिर्फ डंठल बचते हैं।

अधिक नमी से बीमारी बढ़ती है

यह रोग घातक हो सकता है जब तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस होता है और एक सप्ताह तक आद्रता या नमी 90 प्रतिशत से अधिक रहती है। इस बीमारी से पौधे की बालियां सफेद हो जाती हैं और पूरी तरह से दाने नहीं बनते, जिससे गांठे कमजोर हो जाती हैं। अगर वे बनते हैं, तो वे कुटाई के समय अधिक टूट जाएंगे। रोग को बढ़ाने में नत्रजन खाद (यूरिया) की अधिकता, रात्रि तापमान (20-25 डिग्री सेल्सियस) और गीली पत्तियां और ओस का योगदान होता है। 15 जुलाई के बाद रोपित फसल बीमार होती है।

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गीली पौधशाला में पौध को तैयार करें और बीज उपचार अवश्य करें। 25 जून से 15 जुलाई तक रोपाई पूरी करें। 50 डब्ल्यूपी कार्बेंडाजिम 400 ग्राम या 120 ग्राम बीम को 200 लीटर पानी में घोलकर बीमार पत्तियों पर छिड़काव करें। 50 प्रतिशत फूल निकलने पर दोहराएं। 12 बजे के बाद ही चिपकाएँ। ऐसा न करने से फूलों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।