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Mustard: देश के इस राज्य में 50 लाख टन सरसों के उत्पादन का पूर्वानुमान, सरसों का भाव MSP से ऊपर रहने के आसार

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सरसों का भाव MSP से ऊपर रहने के आसार

THE CHOPAL - आप कि जानकारी के लिए बता दे की सरसों इस साल भी लगातार तीसरी बार किसानों को मालामाल करेगी। अगर मौसम अनुकूल रहा तो इस बार देश में सरसों की रिकार्ड तोड़ 120 लाख टन पैदावार तक हने की उम्मीद भी है। आपको बता दे की राजस्थान में लगभग  50 लाख टन से अधिक सरसों के उत्पादन की उम्मीद भी है। राजस्थान के अलवर जिले में 6 लाख टन तक सरसों की पैदा इस बार होगी । अभी तक सरसों का समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल है। बाजार भाव इससे ज्यादा हैं। आप को बता दे की पिछले साल सरसों के बाजार भाव 8000 रुपए क्विंटल तक पहुंच भी गए थे।

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राजस्थान में सरसों की आवक आनी शुरू - 

हालांकि अब मंडी में नई सरसों की आवक आनी शुरू भी हो गई है, लेकिन इस बार बंपर आवक होने पर बाजार का रुख 15 MARCH के बाद ही सामने होगा । आप को बता दे की यह तय माना जा रहा है कि मंडी में सरसों के समर्थन मूल्य से अधिक दाम पर बिकेगी। माना जाए तो सरसों के बाजार भाव 6000 रु. क्विंटल तक रहेंगे, इस प्रकार से अकेले अलवर जिले में 360 करोड़ तक  व राजस्थान में 3000 करोड़ रुपए की सरसों पैदा होगी। आप को बता दे की राजस्थान में सरसों उत्पादन में श्रीगंगानगर के बाद अलवर जिला दूसरे नंबर पर है। राजस्थान प्रदेश के 5 प्रमुख सरसों उत्पादक जिलों में भरतपुर,टोंक व हनुमानगढ़ भी शामिल है।

देश की 4 से 5% तक सरसों का उत्पादन अकेले अलवर जिले में पैदा होता है। आप कि जानकारी के लिए बता दे की अलवर के सरसों तेल की पूरे देश में सबसे अधिक डिमांड भी रहती है। अलवर का सरसों का तेल विदेशो तक भी जाता है। अलवर जिले में 2000 से 2140 किलो /प्रति हैक्टेयर तक सरसों का उत्पादन किया जाता हैं । आप को बता दे की प्रदेश में सरसों की उत्पादकता दर औसतन 1700 से 1800 किलो / प्रति हैक्टेयर है।

एसईए के दो  साल तक प्रेसिडेंट रहे और अब मस्टर्ड प्रमोशन कौसिल के चेयरमैन विजय डाटा के अनुसार इस बार पूरे देश में अभी तक सरसों की अच्छी फसल है। 120 लाख टन तक उत्पादन होने के आसार भी हैं।

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सबसे बड़ी हिस्सेदारी होगी - 

अलवर का सरसों का पूरे भारत देश कि कोने कोने तक जाता है। इसके अलावा बात करे खाड़ी देशों सहित कनाडा व यूरोप भी जाता है। आप को बता दे की सरसों की बेहतर क्वालिटी व माल की उपलब्धता के अलावा ट्रांसपोर्टेशन सुविधा को भी देखते हुए सरसों के तेल उत्पादन के लिए देश के उधोगपति अलवर को काफी उपयुक्त जगह भी मानते हैं। इसीलिए ही देश की नामी कंपनियो ने अलवर में तेल की कई इकाइयां भी लगाई हैं। देश की नामी कंपनियो में गुजरात की अडानी विल्मर, यूपी की महेश एडिबल,उत्तराखंड की दिव्य ग्रामोधोग ,ललित हंस प्रोटीन  , दिल्ली की प्रीमियम ऑयल मिल व पंजाब की खंडोलिया शामिल है। अलवर जिले में 90 से अधिक बड़ी तेल इकाइयां हैं। 
 

किसानों की रुचि सरसों बुवाई में बढ़ी - 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार देश में रिकॉर्ड 93 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है। बात करे पिछले साल की तो इसका रकबा 91.44 लाख हेक्टेयर ही था।  2020-21 में सरसों का बुवाई रकबा 73.12 लाख हेक्टेयर ही था। सरसों तेल में देश आत्मनिर्भर बनने की ओर है। आप को बता दे की चार साल में सरसों की बुबाई देश में करीब 24 लाख हैक्टेयर तक में बढ़ी है। इसका प्रमुख कारण यह हैं की  कोरोना काल में सरसों के भाव 8000 रु.क्विंटल से अधिक पहुंच जाना था। इस कारण राजस्थान सहित एमपी व यूपी में सरसों पैदावार में किसानों की रुचि तेजी से बढ़ी है। 

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