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जीआई टैग मिलने वाली गेहूं की ये खास किस्म, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलने से बढ़ेगी किसानों की आय

Kathia Wheat Got GI Tag :उत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत बुंदेलखंड क्षेत्र में कठिया गेहूं की खेती का दायरा अबकी बार बढ़ाने की तैयारी किसानों ने की है। क्योंकि बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जियो टैग की मान्यता अब मिल गई है जिससे अब यहां कठिया गेहूं की विदेशों में भी पहचान मिलेगी।

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जीआई टैग मिलने वाली गेहूं की ये खास किस्म, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलने से बढ़ेगी किसानों की आय

Kathia Wheat Will Get Recognition In The International Market : बुंदेलखंड के कठिया गेंहू को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है। योगी सरकार और नाबार्ड की कोशिशों से बुंदेलखंड के कठिया गेहूं को जीआई टैग भी मिल गया है। इस जीआई टैग का इस्तेमाल कर कठिया गेंहू को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ले जाने की तैयारी शुरु हो गई है। झांसी के एक एफपीओ को जीआई टैग हासिल करने में सफलता मिली है। 

बुंदेलखंड क्षेत्र में गेहूं की तमाम प्रजातियां आने के बावजूद कठिया गेहूं की पहचान देश और विदेशों में भी है। खेतों में जोताई कर कठिया गेहूं के बीज डालने के बाद प्राकृतिक तत्वों के कारण इसकी फसल खेतों में लहलहा जाती है। इस अनाज की पैदावार ऊबड़ खाबड़ जमीन पर होती है। कठिया गेहूं के उत्पादन के लिए एक पानी की ही आवश्यता होती है। यहां के किसान रघुवीर सिंह, निरंजन सिंह राजपूत व संतोष सिंह ने बताया कि कठिया गेहूं की पैदावार करने से किसानों में कम रुचि है। इसके पीछे यह कारण है कि एक बीघे खेत में मात्र डेढ़ से दो क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है।

किसान उत्पादक संगठनों द्बारा किसानों से बात कर डेटा तैयार किया जा रहा है। इससे यह पता चलेगा कि जिले में कितने किसान कठिया गेहूं के उत्पादन से जुड़े हुए हैं। उन्हें बेहतर पैकेजिंग की व्यवस्था के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे उन्हें उत्पाद का बेहतर कीमत हासिल हो सकेगा। 

पांच प्रीतिशत ही कठिया गेहूं की होती है खेती

उपनिदेशक कृषि हरीशंकर भार्गव ने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में कठिया गेहूं की खेती कम दायरे में होती है। हमीरपुर, बांदा, जालौन, महोबा, ललितपुर और झांसी के अलावा आसपास के इलाकों में इसकी खेती मौजूदा में पांच फीसदी के करीब होती है। बताया कि कठिया गेहूं की बाजार में बड़ी डिमांड है फिर भी इसकी पैदावार कम होने के कारणकिसान अन्य प्रजाति के गेहूं की खेती करते है। इस अनाज का दलिया खाने से सेहत दुरुस्त रहती है। ये अनाज कब्ज नाशक भी है।

जियो टैग की मान्यता मिलने के बाद कैसे होगा फायदा?

उपनिदेशक कृषिने बताया कि कठिया गेहूं को प्रोड्यूसर कंपनी झांसी के एफपीओ ने आईपी इंडिया कंपनी चेन्नई से जीआई टैग की मान्यता ले ली है। इससे अब यहां के किसान इसकी खेती करने का रकबा बढ़ाएंगे। बताया कि हमीरपुर जिले में साठ एफपीओ है जिनके जरिए किसानों को कठिया गेहूं की पैदावार का रकबा बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। बताया कि क$िठया गेहूं को जीआई टैग की मान्यता मिलने के बाद इसकी खेती की तरफ अब किसानों की दिलचस्पी बढ़ेगी।

शुगर, बीपी और पेट सम्बन्धी असाध्य बीमारी के लिए रामबाण

आयुर्वेद चिकित्सक डाँ.दिलीप त्रिपाठी व डाँ.वीके श्रीवास्तव ने बताया कि कठिया गेहूं का दलिया सेहत के लिए बड़ा ही गुणकारी है। इसे नियमित रूप से सुबह के नाश्ते में लेने से शुगर, बीपी कन्ट्रोल में रहती है। बताया कि दलिया के अलावा इस अनाज की रोटी खाने से पेय सम्बन्धी बीमारी से लोग महफूज रहेंगे। कृषि वैज्ञानिक डाँ.एसपी सोनकर ने बताया कि बुंदेलखंड का कठिया गेहूं से बनी रोटी और दलिया खाने में बड़ी ही स्वादिष्ट होती है। जिससे असाध्य बीमारी छूतंर होती है।