liquor with water : चल चुका है कारण पता, भारतीय इस वजह से शराब में मिलाते हैं पानी
भारतीय लोग शराब को बिना पानी मिलाए पीते हैं। शराब कंपनियां भी दारू के साथ पानी-सोडे के अटूट संबंध को जानती हैं। ये कंपनियां शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध के बावजूद टीवी-अखबार में पानी और सोडे के ब्रांड के तौर पर दिखाई देती हैं और अपने संदेश को आसानी से अपने लक्ष्य वर्ग तक पहुंचाते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
The Chopal, liquor with water : हमारे देश में शराब में पानी मिलाने का प्रचलन बहुत अधिक है। हम भारतीय पानी, सोडा, कोक, जूस और बहुत कुछ मिलाकर पीते हैं। क्या यह इसलिए है कि आम भारतीयों के लिए खालिस शराब को सीधे पीना इतना आसान नहीं है? हमारा हीरो क्यों मर्दानगी का प्रतीक बन जाता है जब वह सीधे अपने मुंह में व्हिस्की पीता है? नियमित भारतीयों ने शराब में पानी क्यों मिलाया? आइए, समझें।
व्हिस्की में पानी मिलाना एक कठिन काम है
कॉकटेल्स इंडिया यूट्यूब चैनल के संस्थापक संजय घोष (दादा बारटेंडर) ने इसकी आश्चर्यजनक वजह बताई है। घोषणा है कि भारत में कई व्हिस्की कंपनियां मोलासे या शीरे का इस्तेमाल करती हैं। यह शीरा आम तौर पर रम बनाता है। भारतीय मझोले व्हिस्की कंपनियां मॉल्ट के साथ-साथ मोलासे भी इस्तेमाल करती हैं क्योंकि इस पर फिलहाल कोई कानून नहीं है।
दरअसल, यह गन्ने से चीनी बनाते समय बनने वाला एक गहरे रंग का दो उत्पाद है। फर्मटेंशन से गुजरने के बाद इस मोलास को डिस्टिल करके शराब बनाया जाता है। इसी से अधिकांश इंडियन मेड फॉरन लिकर (IMFL) का बेस बनाया जाता है। यही कारण है कि बिना तरल मिलाए इस भारतीय व्हिस्की को सीधे "नीट" पीते समय हमें हलक चीरते हुए महसूस होता है। इस कड़वाहट को यानी पानी मिलाकर बैलेंस करना बहुत महत्वपूर्ण है। अब पीने वाले लोग समझ गए होंगे कि महंगी विदेशी शराब को बिना कुछ मिलाए सीधे गले से उतारना इतना आसान क्यों है।
यह भी "छक के पीने" की मानसिकता है
भारतीयों की खाने की आदत को भी व्हिस्की-रम आदि में पानी मिलाने का एक कारण मानते हैं। उनका कहना है कि भारत में शराब हमेशा मसालेदार चखने के साथ पी जाती है। इस तीखेपन को कम करने के लिए पानी पीना चाहिए। पानी मिली व्हिस्की, दूसरी ओर, खाने के तीखेपन को नियंत्रित करने के लिए पानी की तरह ही काम करती है।
भारत में पानी मिलाने की इसी आदत से वाइन, जैसे व्हिस्की, रम और वोदका, अधिक लोकप्रिय हैं। दरअसल, वाइन में आइस, सोडा, पानी या कुछ भी नहीं मिलाया जा सकता। उसे सीधे पीना चाहिए। यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है कि आम भारतीयों में शराब पीने का कोई नियम नहीं है। हम शराब पीते समय मानते हैं कि "क्या पता कल हो न हो"। यानी बोतल खुली है, इसे समाप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है।
हम सीमा से ज्यादा पीने के चक्कर में पानी, सोडा, कोल्ड ड्रिंक और अन्य सामग्री को मिलाते हैं। बिना पानी के भी 30 एमएल या 60 एमएल शराब पी सकते हैं।
रॉक्स, नीट का क्या अर्थ है?
शराब पीने और परोसने का एक व्याख्यान है। हमारे फिल्मी हीरोज ने इसे और अधिक 'कूल' बनाया है। जैसे, जेम्स बॉन्ड का डायलॉग, "शेकेन, नॉट स्टर्ड", वोदका मार्टिनी को लोकप्रिय बनाया। बहुत से लोग "नीट" का अर्थ जानते हैं। "नीट", यानी बिना किसी चीज को मिलाकर जब आप नीट की मांग करेंगे, परोसने वाला व्यक्ति 60 एमएल या 30 एमएल शराब सीधे आपके गिलास में डाल देगा।
गर्मियों में व्हिस्की का सामान्य तापमान भी अधिक होता है, इसलिए भारतीय मौसम नीट पीने के लिए अच्छा नहीं है। ताकि व्हिस्की का तापमान कम हो, कुछ लोग नीट में "मेटल आइसक्यूब" भी डालते हैं। ये मेटल आइसक्यूब शराब का मूल स्वाद नहीं बदलता। वहीं, ढेर सारी बर्फ के साथ व्हिस्की पीना। गिलास को आधा बर्फ से भरकर व्हिस्की ऊपर से डालना आदर्श स्थिति है। कुछ लोग पहले शराब डालते हैं और फिर बर्फ डालते हैं, जो गलत है।
विदेशियों ने पानी क्यों नहीं मिलाया?
जानकारों का मानना है कि शराब में पानी या कुछ और तरल मिलाने से उसका मूल स्वाद खराब हो जाता है। विस्की का महंगा स्वाद भी प्रीमियम मिनरल वॉटर से बदतर हो जाता है। शायद यही कारण है कि विदेशों में अधिकांश लोग व्हिस्की को उसके प्राकृतिक स्वाद के साथ बिना किसी तरल के पीते हैं।
वहीं, महंगी एकल मॉल्ट को पीने के लिए खास तरह का पानी भी अब भारत में मिलने लगा है। यह उत्पाद बाजार में "विस्की ब्लेंडिंग वॉटर" के नाम से उपलब्ध है। माना जाता है कि यह खास तरह का पानी शराब का स्वाद और बेहतर बनाता है।
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