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Supreme Court : प्रोपर्टी पर कब्जा करने वालों के लिए जरूरी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने बताया कब मिलेगा मालिकाना हक

Supreme Court Decision For Property Rights : हमारे देश में संपत्ति को लेकर निरंतर बहस होती रहती है।कभी-कभी बहस इतनी बढ़ जाती है कि पूरे घटनाक्रम में एक व्यक्ति मर जाता है।वर्तमान में संपत्ति पर कब्जा करने के मामले बहुत बढ़ गए हैं।
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Supreme Court : प्रोपर्टी पर कब्जा करने वालों के लिए जरूरी खबर,  सुप्रीम कोर्ट ने बताया कब मिलेगा मालिकाना हक

The Chopal, Supreme Court Decision : अगर कोई आपकी संपत्ति पर किसी भी तरह से कब्जा कर लेता है, तो उसे वापस पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। कई बार कब्जा छुड़ाने में सालों लग जाते हैं। लोगों को ऐसे में कानूनी सहायता भी मिलती है।

हम प्रोपर्टी के बहुत सारे नियम और कानूनों से अनजान हैं। अक्सर, आपकी संपत्ति का मालिक भी उस पर मालिकाना हक जता सकता है। क्या आप इस बारे में कुछ जानते हैं? आप इस बारे में सब कुछ जानने के लिए हमारी खबर पढ़ें।

सतर्क रहना चाहिए

आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है अगर कोई आपकी संपत्ति पर बहुत समय से रह रहा है या किसी ने आपकी संपत्ति पर किसी भी तरह का कब्जा कर रखा है।

ऐसे में, अगर आप सुप्रीम कोर्ट पर अपना हक बचाना चाहते हैं, तो कब्जा करने वाले के खिलाफ सतर्क रहें और उसे अपनी जमीन छोड़ने में कोई संकोच न करें।

हाथों को प्रॉपर्टी से धो बैठेंगे

यदि आप अपनी संपत्ति को खाली करने में किसी भी तरह की लेट लतीफी करते हैं, तो आप अपनी संपत्ति से हाथ धो बैठ सकते हैं। इसके पीछे कारण है। लंबे समय से संपत्ति पर निवास करने वाले व्यक्ति भी आपकी संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं।

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया

हम अक्सर देखते हैं कि घरेलू संपत्ति के मामले अक्सर कोर्ट तक पहुंचते हैं। कई बार कोर्ट ने संपत्ति अधिकारों को स्पष्ट किया है।

कोर्ट ने कई संपत्ति विवादों में ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय दिया था। यह निर्णय प्रोपर्टी के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कब्जाधारी का मालिकाना दावा करने का अधिकार बताया है। चलिए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संपत्ति मामले में क्या महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और कब्जाधारकों को क्या अधिकार दिए गए हैं।

किसे अधिकार दिए गए, क्या निर्णय हुआ

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बहुत कुछ स्पष्ट किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि अगर प्रोपर्टी का असली या वैध मालिक एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपनी अचल संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति से वापस लेने की कोशिश नहीं करता है, तो प्रोपर्टी से उसका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा। उस अचल संपत्ति का मालिकाना हक कानूनी तौर पर किसी भी मालिक या कब्जाधारी को मिलेगा।

जानिए कौनसी जमीन पर यह नियम लागू नहीं होगा।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने इसी निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय सरकारी संपत्ति (Government Property) पर किसी भी तरह लागू नहीं होगा। इससे स्पष्ट होता है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी।

किस अधिनियम के तहत, समय अवधि

सरकारी और निजी जमीन का समय अलग है। Limitation Act 1963 के तहत निजी संपत्ति पर लिमिटेशन की वैधानिक अवधि बारह वर्ष है। सरकारी संपत्ति (Government Property) के मामले में यह अवधि ३० वर्ष तक है।

यह समय सीमा कब शुरू हुई

दोनों प्रकार की प्रोपर्टी पर तय समय सीमा कब्जे के दिन से शुरू होती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जजों की खंडपीठ ने इस कानून की व्याख्या करते हुए कहा कि यह उस व्यक्ति का समर्थन करता है।

इसने 12 साल से अधिक समय तक एक ही अचल संपत्ति पर कब्जा कर रखा है। उस कब्जाधारी को 12 साल बाद स्थानांतरित करने पर कोई व्यक्ति कानून की सहायता ले सकता है ताकि वह संपत्ति पर दोबारा अधिकार पा सकें। इस फैसले में उसे यह अधिकार दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का संपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस पूरे मामले में निर्णय दिया कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को कोई दूसरा व्यक्ति बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के नहीं हटा सकता है। उसे कानून का पालन करना होगा।

इसके अनुसार, अगर किसी ने 12 साल से किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा किया है, तो संपत्ति के कानूनी मालिक को भी उस व्यक्ति को वहां से हटाने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा भी होता है, तो अवैध कब्जाधारी को ही उस संपत्ति का मालिकाना हक मिलेगा।

फैसले में न्यायाधीशों ने कहा कि हमारे विचार से, वादी कानून के अनुच्छेद 65 के तहत संपत्ति पर अधिकार, मालिकाना हक या हिस्सा प्राप्त करने पर उसे अपने हित में प्रयोग कर सकता है।

यह प्रतिवादी को भी सुरक्षित रखेगा। जबरदस्ती हटाए जाने पर किसी को कानून की मदद मिलेगी अगर अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में बदल दिया गया है।

किराए पर घर देने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए

कोर्ट का यह फैसला कुछ लोगों को मुसीबत में डाल सकता है। ऐसे में किराए पर मकान देने वाले लोगों को सबसे अधिक समस्या हो सकती है। ऐसे में उन्हें बहुत सतर्क रहना होगा।

मालिक अपनी संपत्ति को किराए पर देने के बाद अक्सर उसकी देखभाल नहीं करता। वह सिर्फ किराया देखता है। यह लापरवाही उन्हें एक दिन बड़ी मुसीबत में डाल सकती है, जिससे उन्हें अपनी संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है।