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Fake Medicines: नकली दवाओं से रहे सावधान, बीमार शख्स नहीं होगा ठीक, इस तरह करें पहचान

Fake Medicines : बदलते मौसम की वजह से बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा बना रहता है। हर घर में कोई ना कोई आदमी बीमार पड़ ही जाता है। बदलते मौसम में बुखार के मामले सबसे ज्यादा आते हैं। बुखार दो-तीन दिन में सही न होने की बजाय 8 से 10 दिन का समय ठीक होने में लगता है। ज्यादातर लोगों में बुखार उतरने के बाद हाथ पैरों में दर्द के अलावा खांसी के मामले भी सामने आते रहते हैं। मामलों में जानकारी का कहना है की दवाओं की खराब गुणवत्ता इसकी वजह होती है। 

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Fake Medicines: नकली दवाओं से रहे सावधान, बीमार शख्स नहीं होगा ठीक, इस तरह करें पहचान

Fake medicines in the country : बाजार में बड़ी मात्रा में नकली दवाइयां मौजूद है। इन दवाओं का सेवन करने में मरीज को सही होने में ज्यादा समय लगता है या वह सही नहीं हो रहे है। नकली दवाइयां खाने से बीमारी ठीक होने की वजह अलग बीमारी होने का खतरा ज्यादा बना रहता है। आज के समय में दवाओं का खराब क्वालिटी का होना चिंताजनक मुद्दा बना हुआ है। इन सभी के पीछे मुख्य कारण यह है कि आम आदमी को दवाओं की सही जानकारी नहीं है। दबाव की पहचान करने के लिए डॉक्टर ने कुछ खास टिप्स दिए हैं जिससे आप नकली दवा खरीदने से बच सकते हैं।

क्वॉलिटी टेस्ट में कुछ महत्वपूर्ण और आवश्यक दवाएं फेल 

कुछ दिनों पहले एक खबर आई थी कि क्वॉलिटी टेस्ट में कुछ महत्वपूर्ण और आवश्यक दवाएं फेल हो गईं। खांसी सहित कई दवाओं में शिकायतों की काफी वक्त से खबरें आ रही हैं। ऐसे में सामान्य व्यक्ति को पता नहीं चलता कि क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं। अब, न्यूरो और स्पाइन सर्जन डॉक्टर विकास ने ट्विटर पर कुछ सावधानियां साझा की हैं जो हमें दवा खरीदने से पहले रखनी चाहिए। नकली या खराब दवा होना बहुत भयानक है। हर व्यक्ति खाने-पीने की सामग्री में मिलावट का अनुमान लगा सकता है। जिस दवा को हम जान बचाने के लिए खा रहे हैं, उसमें गड़बड़ी है, जो जीवन को खतरा पैदा कर सकती है। यहां नकली और असली दवाओं की पहचान कैसे करें।

यहां दिए गए सुझाव नकली दवाइयों से बचने और सुरक्षित दवाइयां खरीदने में मददगार हो सकते हैं:

1 - लाइसेंस प्राप्त दुकानों से खरीदें: दवाइयां हमेशा लाइसेंस प्राप्त मेडिकल स्टोर से ही खरीदें, जहां लाइसेंस डिस्प्ले होना चाहिए। दवा खरीदते समय बिल अवश्य लें ताकि आप वैध दवाई ले रहे हैं, यह सुनिश्चित हो सके।

2 - ऑनलाइन दवाइयां खरीदने से बचें: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से दवाइयां खरीदने में फ्रॉड की संभावना ज्यादा हो सकती है। इसलिए केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाइयां खरीदें।

3 - कीमत और डिस्काउंट पर ध्यान दें: नकली दवाइयां अक्सर बहुत सस्ती और भारी डिस्काउंट पर मिलती हैं। ऐसी दवाइयों से सावधान रहें।

4 - पैकेजिंग की जांच करें: दवाई के पैकेजिंग पर स्पेलिंग मिस्टेक या डिजाइन में फर्क दिखने पर दवा नकली हो सकती है। हमेशा पैकेजिंग की बारीकी से जांच करें।

5 - बैच नंबर और तारीखें देखें: दवाइयों पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चर डेट और एक्सपायरी डेट अवश्य होनी चाहिए। ये जानकारी न होने पर दवा नकली हो सकती है।

6 - बारकोड और क्यूआर कोड: दवा के पैकेट पर बारकोड, यूनीक कोड या क्यूआर कोड जरूर देखिए। यह दवाइयों की प्रामाणिकता की पहचान में मदद करता है।

7 - दवा की स्थिति की जांच करें: नकली दवाई की ऊपरी परत सिकुड़ी या खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति में उस दवा को न खरीदें।

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