UP में 10,500 हेक्टेयर जमीन पर होगा नए शहर का निर्माण, 25 फीसदी इंडस्ट्री के लिए आरक्षित
The Chopal : यूपी सरकार द्वारा आगरा के पास यमुना एक्सप्रेस वे पर एक नया शहर बसाने की योजना बनाई जा रही है। मिली रिपोर्ट से पता चला है की न्यू आगरा अर्बन सेंटर के नाम से बताए जाने वाला यह शहर 10500 हेक्टेयर में बनाया जाएगा। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने मास्टर प्लान तैयार करने के लिए सलाहकारों को आमंत्रित कियाहै।
ग्रीन बेल्ट के लिए 15% जमीन बच जाएगी
आगरा के पास बसे इस नए शहर में उद्योग विभाग और ट्रांसपोर्ट हब पर खास ध्यान रहेगा। ग्रीन बेल्ट को प्रदूषण को कम करने के लिए 15 प्रतिशत जमीन दी जाएगी। आगरा के लोगों को नौकरी की तलाश में अपने घर से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा क्योंकि आगरा के पास ही व्यवसाय है। ताजमहल को बचाने के लिए आगरा के आसपास किसी भी प्रदूषण फैलाने की अनुमति नहीं है। यही कारण है कि प्रदूषण के जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए नए शहर केवल हरित उद्योगों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
जेवर एयरपोर्ट से कारोबार बढ़ेगा
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जेवर एयरपोर्ट के बनने से नोएडा और आसपास के बड़े शहरों, जिनमें आगरा भी शामिल है, में कारोबार के अवसर बढ़ेंगे। ऐसे में काम करने वाले लोगों को अच्छी सुविधाओं वाले शहर की जरूरत होगी। यदि एक्सप्रेसवे पर नए शहर नहीं बनाए गए, तो नोएडा और आगरा जैसे शहर पर अधिक दबाव पड़ेगा, जो इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे सकता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, एक नया शहर बनाना बहुत जरूरी है।
YEIDA मास्टर प्लान 2031
YEIDA ने दिल्ली-NCR में आबादी के दबाव को कम करने के लिए मास्टर प्लान 2031 बनाया है। ताज नगरी आगरा के निकट एक अधिसूचित क्षेत्र में 10,500 हेक्टेयर जमीन पर एक नया शहर बसाने का नया मास्टर प्लान शुरू हो गया है। ताज नगरी के पास बनाया गया यह नया शहर सबसे अच्छी सुविधाओं से लैस होगा। मास्टर प्लान-2031 के अनुसार, भविष्य में शहर की आबादी लगभग 11 लाख होगी, इसलिए निर्माण और अन्य योजनाएं बनाई जाएंगी। साथ ही शहर का कुल क्षेत्रफल का 7% पर्यटन के लिए होगा।
नए शहर में कितनी जमीन है
आगरा के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर बसे इस शहर की 25% जमीन उद्योग के लिए आरक्षित हो सकती है, रिपोर्टों के अनुसार। इसके अलावा, 20 प्रतिशत आवासीय भूमि और 4 प्रतिशत व्यावसायिक भूमि रखी जा सकती है। 13 प्रतिशत जमीन ट्रांसपोर्ट के लिए भी आरक्षित है। जैसा कि पहले कहा गया है, ग्रीन बेल्ट और पर्यटन के लिए पंद्रह प्रतिशत जमीन आरक्षित रखी जा सकती है। जमीन का अतिरिक्त हिस्सा अन्य उद्देश्यों के लिए रखा जा सकता है।