The Chopal

किसानों को पराली से मिलेगा पैसा, ये मशीन बना देगी लखपति

MACHINE TO CONVERT STALK TO STRAW : फसल कटाई के बाद पराली आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। ज्यादातर किसान इस समस्या से आसानी से निजात पाने के लिए उस पर आग लगा देते हैं। जिससे पॉल्यूशन भी काफी ज्यादा फैलता है और मिट्टी को भी बहुत ज्यादा नुकसान होता है, लेकिन अब आज के इस आधुनिक जमाने में जहां नए-नए यंत्रों के आविष्कार होते हैं।

   Follow Us On   follow Us on
किसानों को पराली से मिलेगा पैसा, ये मशीन बना देगी लखपति

MOHAN GOVT SUBSIDY ON STRAW REAPER : फसल कटाई के बाद पराली आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। ज्यादातर किसान इस समस्या से आसानी से निजात पाने के लिए उस पर आग लगा देते हैं। जिससे पॉल्यूशन भी काफी ज्यादा फैलता है और मिट्टी को भी बहुत ज्यादा नुकसान होता है, लेकिन अब आज के इस आधुनिक जमाने में जहां नए-नए यंत्रों के आविष्कार होते हैं। ऐसे में पराली की समस्या से निजात देने के लिए या यूं कहें कि अब डंठल से भी पैसा दिलाने वाली मशीन आ गई है, जो किसानों के बड़े काम की है।

फसल के डंठल उगलेंगे सोना

अब फसल के डंठल भी उगलेंगे सोना, ये बात आपको अटपटी जरूर लग सकती है, लेकिन सच है, क्योंकि खेतों में फसल कटाई के बाद जो डंठल बचते हैं। अब उनसे भूसा बनाकर उन्हें अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। बाजार में एक ऐसी मशीन आ चुकी है, जो अब फसलों के डंठल का भी भूसा बनाने में कारगर है। इस मशीन के लिए सरकार भी अच्छी खासी सब्सिडी दे रही है। जिससे किसान आसान दामों पर इसे खरीद भी सके।

अब पराली जलाएं नहीं, भूसा बनाएं

कृषि अभियांत्रिकी विभाग शहडोल के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी कहते हैं कि 'हमारे क्षेत्र में गेहूं कटाई के बाद पराली जलाना बहुत सामान्य सी बात है। किसान अपने खेत को तैयार करने के लिए एक शॉर्टकट अपनाते हैं कि खेत के पराली को जला देते हैं। उनको यह लगता है कि पराली जलाने से उनकी खेती आसान हो जाएगी। उनके खेत तैयार हो जाएंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है, पराली के कई सारे नुकसान हैं। पराली जलाने से हमारे जो खेत के मित्र कीट होते हैं, वो भी नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। ऐसे में कृषि अभियांत्रिकी की अच्छी मशीन आ गई है।

आधुनिक मशीन है, जो मशीन गेहूं कटाई के बाद फसल की जो डंठल बचती है या यूं कहें कि जो पराली होती है, उसका भूसा बना देती है। इस मशीन को इस्ट्रॉरीपर कहा जाता है। यह मशीन खेत को भी साफ करती है। जिससे किसान को अपने पराली पर आग भी नहीं लगाना पड़ेगा। खेत भी साफ हो जाएगा और जो डंठल से भूसा बनेगा। किसान उसे अच्छे दामों पर बेच भी सकता है।

कैसे काम करता है ?

कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं कि ये जो इस्ट्रॉरीपर मशीन होती है। ये आज के समय में किसानों के लिए बहुत ही अच्छी और आधुनिक मशीन है, इस मशीन से गेहूं कटाई के बाद किसान चाहे तो हार्वेस्टर के पीछे ट्रैक्टर चला करके खेत में भूसा निकाला जा सकता है। उसे अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। आप देखेंगे कि जब हमारे खेत की गेंहू की कटाई हार्वेस्टर से हो जाती है। उसमें जो डंठल छूट जाते हैं। उसके लिए हम इस्ट्रॉरीपर मशीन को एक ट्रैक्टर के साथ चलाते हैं। इसके पीछे ट्रॉली भी लगाते हैं और डेढ़ घंटे में करीब 1 एकड़ का भूसा यह तैयार कर देती है। इससे इस मशीन से पराली पर या नरवाई पर पर्याप्त कंट्रोल हो जाता है। खेत से नरवाई खत्म हो जाती है और किसान को भूसा भी मिल जाता है।

कितना भूसा बन जाता है ?

जब खेतों पर डंठल बचे होते हैं तो पहला सवाल ये आता है कि जो मशीन है, वो कितना भूसा बना देती होगी, तो कृषि अभियांत्रिकी के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी कहते हैं कि ये मशीन कितना भूसा बनाती है। यह तो अलग-अलग खेतों पर निर्भर करता है। किस हिसाब से गेहूं की फसल किस खेत में लगी है। एक एकड़ में 1 से 2 ट्राली के लगभग भूसा आराम से निकल जाता है। भूसे के दाम भी 4000 प्रति ट्राली तक उस सीजन में बिक जाता है।

सरकार दे रही सब्सिडी

इस इस्ट्रॉरीपर मशीन की डिमांड भी अच्छी खासी है। ज्यादा से ज्यादा किसानों तक ये पहुंचे इसके लिए सरकार भी इसमें अच्छी खासी सब्सिडी दे रही है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए सरकार एक लाख 30 हजार रुपए तक का डायरेक्ट अनुदान दे रही है। इसके लिए किसान चाहे तो अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री या कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकता है। इसकी पूरी जानकारी लेकर इस यंत्र को ले सकता है, इस्ट्रॉरीपर मशीन के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। इसे खरीदने के लिए किसानों का स्वयं का ट्रैक्टर, आधार कार्ड, और खेती योग्य भूमि आवश्यक है। यह मशीन 3 लाख से लेकर के 3 लाख 80 हजार तक अलग-अलग कंपनियों में आती है। इसमें अधिकतम 1 लाख 30 हजार तक का अनुदान भी शामिल होता है।

News Hub