सरसों की फसल में इस्तेमाल करें ये खाद, दानों में बढ़ेगी तेल की मात्रा
Mustard Farming : इस रवि सीजन किसान सरसों की फसल से कम समय में अच्छा मुनाफा पा सकते हैं, लेकिन किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कीट प्रबंधन, सिंचाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें। साथ ही तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सही मात्रा में सल्फर का इस्तेमाल सही समय पर करें।

Mustard Farming : कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि किसान धान की कटाई के बाद रबी की फसलों की तैयारी कर रहे हैं। रबी के सीजन में किसान तिलहन फसलों की बुवाई भी करते हैं। तिलहन की मुख्य फसल सरसों की मांग बाजार में साल भर रहती है। किसान सरसों की बुवाई कर कम समय में अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
सरसों की फसल की बुवाई करते समय किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। किसान सही समय पर सही किस्म की बुवाई करें। गुणवत्तापूर्ण बीज का उपयोग करें। बुवाई के वक्त खेत में पर्याप्त नमी उर्वरक और बुवाई की विधि पर भी विशेष तौर पर ध्यान दें। सरसों की फसल बेहद ही नाजुक होती है इसमें सिंचाई का भी विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए।
सरसों की फसल में शुरुआती दौर में ही कई कीट लग जाते हैं। कीटों की रोकथाम के लिए किसान सरसों की फसल के जमाव के 5 से 7 दिन के बाद चूल्हे की राख को कीटनाशक पाउडर मेलाथियान में मिलाकर छिड़काव करते हैं। ऐसा करने से कीटनाशक की प्रभावशीलता कम हो जाती है, कीट पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाते और पौधा कमजोर हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि किसान राख में कीटनाशक ना मिलाएं। कीटनाशक मेलाथियान का छिड़काव सीधे फसल पर करें। कीटों की रोकथाम के लिए 4 किलो मेलाथियान पाउडर को प्रति एकड़ में छिड़काव किया जा सकता है।
सरसों की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कई बार किसान 15 से 20 दिन की सरसों की फसल को सिंचाई कर देते हैं। इसके तुरंत बाद उसमें यूरिया का भी छिड़काव करते हैं। ऐसा करने से पौधे की बढ़वार तो हो जाती है लेकिन फलियों का आकार छोटा रह जाता है, फलियों में दानों की संख्या भी कम हो जाती है। ऐसे में किसानों को ध्यान रखने की जरूरत है कि सरसों की फसल में पहली सिंचाई तब करें जब खेत में नमी ना रहे। सरसों के पौधे को जब पानी की आवश्यकता होती है तो उसका रंग काला होने लगता है और पौधे नमी के कारण मुरझाने लगते हैं। अगर यह लक्षण दिखाई दें तभी सरसों के फसल में सिंचाई करें।
सरसों की फसल का भाव उसमें निकलने वाले तेल की मात्रा पर निर्भर करता है। सरसों के अच्छी गुणवत्ता अधिक तेल पाने के लिए सल्फर का उपयोग बहुत जरूरी है लेकिन कई बार किसान सरसों की फसल में सल्फर का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे में जरूरी है कि सिंचाई के बाद प्रति एकड़ 4 किलो सल्फर का छिड़काव कर दें। जिससे सरसों में तेल की मात्रा बढ़ जाएगी। किसानों को अच्छा उत्पादन और अच्छा भाव मिलेगा। ध्यान रखें कि सरसों की फसल में दानेदार सल्फर का ही इस्तेमाल करें। पाउडर वाला सल्फर इस्तेमाल करने से पौधे की पत्तियों पर जम सकता है जो नुकसानदायक भी हो सकता है।