The Chopal

किसानों की पर्यावरण पूर्वानुमान ने बढ़ाई चिंता, 27 साल बाद खत्म हो जायेगी चावल, गेहूं जैसी फसल

   Follow Us On   follow Us on
किसानों की पर्यावरण पूर्वानुमान ने बढ़ाई चिंता

THE CHOPAL - जलवायु संकट के कारण से भविष्य में अनाज की पैदावार पर काफी भी असर पड़ेगा।  आपको बता दे की सिर्फ मौसम संबंधी आपदाएं भी नहीं आएंगी,बल्कि इसका सीधा असर अब कृषि और फलों की फसल पर पड़ेगा।आपको बता दे की जिस प्रकार से मौसम का तेजी से बदलना और उससे जुड़ी आपदाएं भी आ रही हैं, भारत देश में लोग अब दाने-दाने को मोहताज भी हो सकते हैं. आपको बता दे की भारत सरकार ने अपने अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और उससे पड़ने वाले बुरे असर पर नजर भी रख रही है। आपको बता दे की नए डेटा और वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। आपको बता दे की जलवायु परिवर्तन का असर भविष्य में होने वाली पैदावार पर भी पड़ेगा।  

ALSO READ - किसानों को बरसात से खत्म हुई फसल का प्रति हेक्टेयर 25000 का मिलेगा मुआवजा, सरकार का बड़ा फैसला

ICAR ने की है खेती पर होने वाले बुरे असर की स्टडी -

इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च ने खेती क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण से होने वाले असर की स्टडी भी की हैं। आपको बता दे की इस स्टडी में जो नतीजे सामने भी आए, वो काफी डराने वाले भी हैं। आपको बता दे की अगर नई तकनीकों और तरीकों का इस्तेमाल अगर नहीं किया गया तो भविष्य काफी डरावना भी हो सकता है।  

बारिश से होने वाली धान -

इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की स्टडी में यह बात सामने भी आई है कि 2050 तक बरसात  से होने वाली धान की फसल की पैदावार में 20 % की गिरावट भी आएगी। आपको बता दे की जो 2080 तक 47 % घट भी जाएगी। आपको बता दे की वहीं जिस धान की फसल की सिंचाई भी की जाती है, वो 2050 तक 3.5 % गिर भी जाएगी। बता दे की 2080 तक यह 5 % गिर भी जाएगी। आपको बता दे की जलवायु परिवर्तन के कारण से गेंहू की फसल में 2050 तक 19.3 % की गिरावट भी आएगी। आपको बता दे की गेंहू की फसल में 2080 तक यही बढ़कर 40 % भी हो जाएगा। आपको बता दे की बदलते मौसम के मुताबिक  ये घट और बढ़ भी सकती है। आपको बता दे की ऐसा ही कुछ मक्का के साथ भी है। बता दे की 2050 तक मक्का की फसल में 18 % और 2080 तक 23 % की गिरावट होने की भी आशंका भी है।  

ALSO READ - Rajasthan Weather- राजस्थान के किसानों को बेदर्द बारिश से निजात, इन जिलों में पारा चढ़ने के आसार 

एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स के कारण से अधिक मुसीबत 

आपको बता दे की जलवायु परिवर्तन इंसानों द्वारा किए जा रहे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से  रहा है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका जंगलों का काटा जाना भी है। आपको बता दे की इस आशंका को सच करती हुई एक रिपोर्ट अभी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने रिलीज भी की है. जिसमें यह बताया गया है कि भारत में पिछले साल 1 JAN से लेकर 31 OCT तक 304 दिनों में लगभग 271 दिन मौमस खराब ही रहा है। आपको बता दे की कभी सूखा तो कभी बाढ़ और कभी ओले तो कभी आंधी-तूफान व बरसात। आपको बता दे की मौसम संबंधी भयानक घटनाएं या आपदाएंके कारण से 18.1 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगी फसल खत्म भी हो गई। आपको बता दे की भारत के मध्य इलाके में यानी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और ओडिशा में 1 जनवरी से लेकर 31 OCT 2022 के बीच 198 दिनों तक खतरनाक मौसम भी था। आपको बता दे की MP सबसे अधिक प्रभावित राज्य भी रहा हैं।